भारत रत्न

सन् 1891 में जन्मा एक भारत रत्न था
जिन्होंने माना गणतंत्र भारत को अपना स्वप्न था
जिनकी थी बातें अनेक
नेता थे जो लाखों में एक
था अर्थशास्त्र का ज्ञान जिन्हें
मानव अधिकारों का था मान इन्हें
जिन्होंने खोया अपना बचपन
छोटी सी उम्र में खोया माँ का साया था
दुःख- दर्द और पीड़ा में
उन्होंने बचपन गंवाया था
जीवन है तो अन्याय है
कहीं धूप है ,कहीं छांव है
एक आस थी जो साथ थी
जीवन में कुछ कर दिखाने के जज़्बात थे
नीची जाति हो कर किया विद्या का पठन उन्होंने
यह प्रश्न थे ,एतराज़ थे
जो समाज के अभाव थे
हीरे जन्में नहीं जाते
वह कोयले की खदानों में तराशे जाते हैं
जो कोयले सक्षम होते हैं दबाव सहने के
वही हीरों के रूप में पाये जाते हैं
संघर्ष की यह राह थी
न्याय की वह चाह थी
“अहिंसा परम धर्म
आत्मवत् सर्वभूतेषु”
ऐसी उनकी राय थी
साहस की स्याही से वह भारत का संविधान लिख जाते हैं
भारत में भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर पूजे जाते हैं।

– कैडेट सौम्या गुप्ता

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